Posted By:- विश्व महिला दिवस
Description:- 🌞🌞🌞 *।।ओ३म्।।* 🌞🌞🌞 * 💐💐। विश्व महिला दिवस ।💐💐* 🙏सभी सम्मानित महिला शक्ति को नमन🙏 आर्य समाज के संस्थापक, वेदोद्धारक, स्त्री शिक्षा के प्रचारक, महान् वेदादि शास्त्रों के प्रकांड पंडित महर्षि दयानंद सरस्वती जी को श्रेय जाता है, भारत में नारी शक्ति के उत्थान और वर्तमान में सम्मानित स्थिति के लिए। आज जीवन के हर क्षेत्र में नारी शक्ति का प्रभाव देखा जा सकता है। रूढ़ियों के बोझ तले दबाई और कुचली जाने वाली स्त्री जाति के लिए इस देश को फिर से महर्षि ने याद दिलाया कि - यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।। अर्थात् जहाँ नारियों का सत्कार होता है वहां देवता रमण करते हैं। और जहां नहीं होता है, वहां सभी कार्य असफल जो जाते हैं। पूजा या सत्कार का अर्थ यहां यथोचित आदर सम्मान, सदा प्रसन्न रखना आदि। *माता निर्माता भवति* गर्भावस्था से ले कर पांच वर्ष तक बालकों को संस्कार माँ ही प्रदान करती है। अभिमन्यु को गर्भ में ही चक्रव्यूह प्रवेश की शिक्षा प्राप्त हो गई थी। रानी मदालसा ने अपनी इच्छानुसार सन्तान को संस्कार दिए। मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम, योगेश्वर श्रीकृष्ण, महाराणा प्रताप, वीर छत्रपति शिवाजी, शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, वीर शिरोमणि चन्द्र शेखर आज़ाद, महान् क्रान्तिकारी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल आदि अनेकानेक महापुरुषों की निर्माण करने वाली उनकी माँ ही थीं। स्वामी विवेकानन्द जी से जब विदेश में एक महिला ने पूछा कि आप किस विश्वविद्यालय में पढ़े हैं, तब विवेकानन्द जी ने कहा था कि वो विश्वविद्यालय मेरी माँ थीं। अत: हमारे वैदिक ग्रंथों में वर्णित १६ संस्कारों का पालन प्रत्येक परिवार में होना आवश्यक है। *यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म* अपनी समृद्ध गौरवशाली परम्पराओं का निर्वहन सभी को करना चाहिए। सभी को नित्य यज्ञ करना आवश्यक है। हम सभी को जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ एवम् अन्य अवसरों पर घर में यज्ञ अवश्य करना चाहिए और विद्वान पुरोहितों द्वारा सन्तानों को उपदेश दिलाकर संस्कारवान बनाने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। *वेदोऽखिलो धर्ममूलम्* प्रत्येक आर्य परिवार में वेदों का पठन-पाठन अवश्य होना चाहिए। तथा वेदों की रक्षा कर रहे विद्वानों को सभी को सहयोग करना चाहिए ताकि वे और अधिक उत्साह से वैदिक धर्म और संस्कृति का संरक्षण व प्रचार कर सकें। उपरोक्त सभी कार्य तभी व्यवस्थित ढंग से हो सकते हैं जब महिलाएं इस दिशा में प्रयास करें। आइए हम ऋषियों के ऋण को उतारने के लिए तन, मन और धन से अविद्या के नाश और विद्या की बृद्धि का प्रयास करें। अपनी उन्नति करें और सबकी उन्नति में योगदान दें। नारियां देश की जाग जाएं अगर, युग स्वयं ही बदलता चला जाएगा।। आप सभी को *महिला दिवस* पर पुनः पुनः शुभकामनाएँ🙏💐 धन्यवाद सहित, पंडित नागेश चन्द्र शर्मा