Posted By:- गुरुकुल , वानप्रस्थ आश्रम एवम् गौशाला हेतु दान की प्रार्थना
Description:- ओ३म् शतहस्त समाहर सहस्त्रहस्त संकिर । कृतस्य कार्यस्य चेह स्फातिं समावह । । अथर्ववेद 3/24/5 हे मनुष्य! तू सौ हाथों से धन अर्जन कर और हजार हाथों से बाँट । अर्थात् सत्कर्मों से धन एकत्र करके सुपात्रों को दान दे । इस तरह अपने किए हुए की और किए जाने वाले की बढ़ती हुई फसल को इस संसार में ठीक प्रकार से प्राप्त कर । सत्पात्रों को दिया हुआ तेरा दान बढ़ती हुई फसल के समान तुझे अनन्त गुणा होकर प्राप्त होगा । आर्ष गुरुकुल, वानप्रस्थ आश्रम एवम् गौशाला के लिए दान की प्रार्थना आदरणीय महानुभाव, आशा है आप सपरिवार आनन्दपूर्वक हैं। लम्बे समय से हम लोग मुम्बई के आसपास के क्षेत्र में गुरुकुल के निर्माण के लिए प्रयास कर रहे हैं। एक ऐसा गुरुकुल जहाँ आचार्य बच्चों का चरित्र निर्माण करें। जहाँ समाज के विभिन्न कार्यक्षेत्र से अनुभव की पूँजी लिए वानप्रस्थी, बच्चों को जीवन की समस्याओं और उनके समाधान के विषय में मार्गदर्शन करें। जहाँ योग्य शिक्षक बच्चों को विभिन्न विषयों में योग्यता प्रदान करें। जहाँ बच्चे प्रकृति के खुले वातावरण में शारीरिक, मानसिक और आत्मिक विकास कर सकें। जहाँ शुद्ध खानपान के द्वारा एक स्वस्थ जीवन की आधारशिला रखी जा सके। और जहाँ बच्चे यज्ञ और योग के माध्यम से जीवन लक्ष्य की ओर अग्रसर हो सकें। ऐसे परम पवित्र कार्य के लिए हम आपसे सहयोग की प्रार्थना कर रहे हैं। कृपया अपनी पुरूषार्थ पूर्वक अर्जित की हुई राशि का कुछ भाग, समाज और राष्ट्र की उन्नति के इस कार्य में समर्पित करें।